खेल जगततेज खबरेंलेटेस्ट खबरेंसाहित्यहरियाणा

गुरुकुल यमुनातट मंझावली के रजत जयंती समारोह मे बतौर मुख्यातिथि पहुंचे पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल

फरीदाबाद के मंझावली गुरुकुल के 25 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे होने पर गुरुकुल समिति ने रजत जयंती के रूप मे अपना वार्षिक उत्सव् मनाया। आपको यहाँ बतादें गुरुकुल मे इस समय् 200 से अधिक छात्र शिक्षा पा रहे है। गुरुकुल के वार्षिक उत्सव् के रजत् जयंती समारोह मे पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया

फरीदाबाद के मंझावली गुरुकुल के 25 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे होने पर गुरुकुल समिति ने रजत जयंती के रूप मे अपना वार्षिक उत्सव् मनाया। आपको यहाँ बतादें गुरुकुल मे इस समय् 200 से अधिक छात्र शिक्षा पा रहे है। गुरुकुल के वार्षिक उत्सव् के रजत् जयंती समारोह मे पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
रजत जयंती कार्यक्रम मे पहुँच पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने गुरुकुल के संस्थापक महंत स्वामी प्रणवानंद महाराज ओर आचार्य जय कुमार व बाहर से भी आये संत महात्माओं व बच्चो को रजक जयंती के शुभ अवसर पर बधाई दी व उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना प्रभु चरणों मे की। इस अवसर पर पूर्व मंत्री विपुल गोयल व विधायक राजेश नागर को आयोजनकर्ताओ ने रजत पुस्तिका ओर मोमेंटो भेट कर सम्मानित् भी किया।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने मंच से अपने सम्बोधन मे कहा की हम सभी के लिए गुरु के बिना एक स्वस्थ और सफल जीवन की कल्पना करना भी बेकार है क्योंकि बड़े बड़े विद्वानों का मानना है कि गुरु ही हमारा सच्चा मार्गदर्शक होता है ओर गुरु के बिना कोई भी किसी लक्ष्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता । इस अवसर पर पूर्व मंत्री ने एक छोटी बच्ची को भी सम्मानित किया जिसने हरियाणा संस्कृत भारती के श्लोक उच्चारण कार्यक्रम मे प्रथम स्थान हासिल किया था।
पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने सभी बच्चो को संदेश दिया की कई बार गुरु नाराज हो जाते है तो बच्चो के दिलो मे आता है की गुरुजी सख्त बहुत है, हमे नही पढना लेकिन बच्चो जिस प्रकार घड़े को सुंदर बनाने के लिए कुम्हार अंदर से हाथ का सहारा देकर ऊपर से थाप मारता है ठीक उसी प्रकार गुरु अपने शिष्यों को डांट-फटकार लगाकर कठोर अनुशासन में रखता है ओर वह हृदय में प्रेम भावना रखते हुए शिष्य को सज्जन और सुसंस्कृत बनाता चाहता है इसलिए हमेशा याद रखना चाहिए की गुरु की कठोरता बाहरी होती है, लेकिन अंदर से वह अत्यंत ही दयालु होता है इसलिये सभी को सदैव अपने गुरु का आदर एवं स्तुति करनी चाहिए।

User Rating: Be the first one !

Related Articles

error: Content is protected !!
Close